The Great Indian Family Review: मुश्किल समय में भी हंसकर जीना सिखाती है फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’

The Great Indian Family

The Great Indian Family Movie Review: पूरे परिवार को एंटरटेनमेंट देने के साथ एक सोशल मैसेज देतीं फिल्में इस साल काफी पसंद की गई हैं. ‘सत्यप्रेम की कथा’ हो या ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’, लाइट मोमेंट्स और फैमिली ड्रामा के साथ कुछ काम की बात कह जाने का ये फंडा कामयाब भी रहा है. ‘जरा हटके जरा बचके’ जैसी फैमिली एंटरटेनर फिल्म देकर आ रहे विक्की कौशल की नई फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) शुक्रवार को थिएटर्स में पहुंच गई है. उनकी ये नई फिल्म फैमिली, कॉमेडी और तगड़े सोशल मैसेज का कॉम्बो स्क्रीन पर लेकर आई है.

फिल्म (The Great Indian Family) के बारे में जो पहली चीज अपील करती है, वो हैं इसके गाने. पहले 15 मिनट में ही ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ दो बढ़िया भजन टाइप गाने पेश कर देती है. भजन कुमार के किरदार में नजर आ रहे विक्की कौशल फिल्म की शुरुआत में ही अपनी एनर्जी और एक्टिंग से माहौल बना देते हैं.

कुमुद मिश्रा, मनोज पाहवा, यशपाल शर्मा जैसे दमदार एक्टर्स अपने काम से माहौल को संभाले भी रखते हैं. लेकिन सोशल मैसेज देने वाली फिल्मों की पेस अक्सर हिल-डुल जाती है. ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) के साथ भी ये दिक्कत नजर आती है. लेकिन कई बार फिल्म का दिल बहुत मैटर करता है और विक्की कौशल की फिल्म का दिल बिल्कुल सही जगह पर है.

क्या है कहानी?

‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) की कहानी बलरामपुर नाम की एक जगह पर बेस्ड है, जहां देश के किसी भी कस्बे की तरह आस्था एक बहुत सीसीटीव टॉपिक है. यहां हर धर्म के अपने मोहल्ले हैं और इनकी बाउंड्री इलाके के लोगों के लिए किसी सरहद जैसी है. वेद व्यास त्रिपाठी उर्फ बिल्लू उर्फ भजन कुमार (विक्की कौशल) बलरामपुर के पुश्तैनी पंडितों के घर से आता है. और जैसे कि नाम से ही साफ है, भजन गाने के लिए जाना जाता है. इस परिवार की भावनाओं पर वज्रपात मोमेंट तब होता है, जब एक चिट्ठी में पता चलता है कि भजन कुमार ऑरिजिनली मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ था.

पंडिताई में त्रिपाठी परिवार से टक्कर लेने वाले मिश्रा परिवार को इसमें एक मौका दिखता है और बलरामपुर के एक बड़े रईस के घर शादी करवाने का ‘कॉन्ट्रैक्ट’ दांव पर आ जाता है. पहले ये सीनियर त्रिपाठी (कुमुद मिश्रा) के हाथ में जाने वाला था, अब सीनियर मिश्रा (यशपाल शर्मा) के हाथ में जाने वाला है. इससे भी कहीं ज्यादा मुश्किल त्रिपाठी परिवार के अपने घर में हो जाती है. बिल्लू की सोशल मीडिया ट्रोलिंग शुरू हो गई है और अब अगर बलराम पुर के टाइट माहौल में अगर त्रिपाठी के घर का लड़का मुस्किल निकल आए तो क्या बवाल हो सकता है ये सोच पाना मुश्किल नहीं है.

अब भजन कुमार की पहचान का क्या होगा? क्या उसकी जन्मजात पहचान उसके कर्म की पहचान पर हावी होगी? क्या बलरामपुर का समाज त्रिपाठी परिवार को पहले की तरह ‘पुश्तैनी पंडितों’ की अथॉरिटी में देख पाएगा? और सबसे बड़ा सवाल, क्या बिल्लू अपने ही घर में पहले की तरह नॉर्मल हो पाएगा?

कहानी के ट्रीटमेंट में मची खिचड़ी

‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) में बिल्लू की पहचान के मसले को जिस तरह ट्रीट किया गया है, उसमें कई दिक्कतें हैं. अपने घरवालों के बर्ताव से दुखी बिल्लू, एक पॉइंट पर अपनी जन्मजात पहचान को अपनाने निकल पड़ता है. वो हरा कुर्ता पहन लेता है. टोपी लगा लेता है, अपने मुस्लिम दोस्त के घर रहने लगता है. उर्दू सीखने लगता है और जबरन हर शब्द में एक बार नुक्ता लगाने लगता है. लेकिन उसे ये नहीं समझ आता कि मुसलमान बनना कैसे है?

यहां फिल्म शायद ये दिखाना चाहती है कि एक कस्बाई सेटिंग में, ट्रेडिशनल सेटिंग से आने वाले लोग दूसरे धर्मों को बस कपड़ों या खानपान तक ही पहचानते हैं. इसके अलावा उन्हें कुछ पता नहीं. भारत जैसे देश में केवल धार्मिक आधार पर संस्कृति को अलग-अलग करके देख पाना बहुत मुश्किल है. इसलिए जब ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) ऐसा करने की कोशिश करती है तो खटकता है. अपने मैसेज तक पहुंचने के लिए फिल्म उतने स्टीरियोटाइप तोड़ नहीं पाती जितने बनाती है.

Must Read: Bigg Boss OTT 2 Winner Elvish Yadav: एल्विश यादव को अभी तक नहीं मिली ‘बिग बॉस ओटीटी 2’ की 25 लाख प्राइज मनी

‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) में एक टोकन लव स्टोरी भी है. बिल्लू एक सिख लड़की (मानुषी छिल्लर) से प्यार करने लगता है, जो किसी भी तरह की धार्मिक राइवलरी को बेवकूफी मानती है. लेकिन इस लव स्टोरी का कोई खास फायदा नहीं होता क्योंकि बिल्लू के किरदार को यहां से कोई मोटिवेशन मिलता नहीं दिखता. उसे अपनी पहचान का वेलिडेशन सिर्फ अपने परिवार से चाहिए. ऊपर से काफी देर तक फिल्म में त्रिपाठी परिवार, बिल्लू का धर्म रिवील करने वाली चिट्ठी को किसी की शरारत की तरह ट्रीट करता रहता है और इस शरारत को गलत साबित करने के लिए बात डीएनए टेस्ट तक आ जाती है.

फिल्म में एक पारसी डॉक्टर और बच्चे को जन्म देती मुस्लिम मां के मरने का भी जिक्र होता है. लेकिन ये सब बड़ी तेजी में निपटा दिया गया है. ऐसा लगता है कि ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) ने अपनी प्लेट में जितना रखा है, उसका आधा भी पचा नहीं सकती. दो घंटे से भी छोटी इस फिल्म को इतनी जल्दी किस बात की थी ये समझ नहीं आता. हालांकि, फिल्म कहीं-कहीं पर पॉलिटिकल सटायर करने की कोशिश में कामयाब भी होती है.

कलाकारों की परफॉरमेंस

‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) इस बात को एक बार फिर साफ कर देती है कि विक्की कौशल की ढीली परफॉरमेंस जैसी कोई चीज इस दुनिया में नहीं है. एक स्क्रिप्ट जो खुद बहुत सी चीजों में इमोशंस नहीं उतरने देती, वहां विक्की की परफॉरमेंस ही थोड़े से इमोशंस लेकर आती है. कुमुद मिश्रा और यशपाल शर्मा जैसे पके हुए कलाकारों को लेने का फायदा भी फिल्म को होता है.

ये दोनों साधारण से सीन्स में भी जान डाल देते हैं और दोनों जब आमने-सामने होते हैं तो सीन का लेवल ही बढ़ जाता है. मनोज पाहवा के कुछ सीन भी उनके लेवल को दिखाते हैं जबकि ‘मिर्जापुर’ फेम आसिफ खान को ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला. बिल्लू के दोस्त सर्वेश के रोल में नए कलाकार आशुतोष उज्जवल जमते हैं, उनकी कॉमिक टाइमिंग फर्स्ट हाफ में फिल्म को अच्छे मोमेंट्स देती है. मानुषी छिल्लर को फिल्म ने कुछ खास करने का मौका ही नहीं दिया है कि उनकी परफॉरमेंस को जज किया जाए.

‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ (The Great Indian Family) की कहानी में वो सारे मसाले मौजूद थे जो आज के दौर के हिसाब से एक बहुत शानदार ड्रामा पर्दे पर ला सकते थे. लेकिन स्क्रिप्ट का ढीला पड़ना और सेकंड हाफ में फिल्म की पेस का स्लो पड़ जाना मामले को खराब करता है. लेकिन परिवार के साथ थिएटर्स में नई फिल्म ट्राई करनी हो तो ये फिल्म एक बार तो देखी जा सकती है. ‘द ग्रेट इंडियन फैमिली’ उस तरह की फिल्म है जो टीवी पर खूब चलने का दम रखती हैं.